मैं शुरु हुआ मिटने की सीमा-रेखा पर,
रोने में था आरम्भ किन्तु गीतों में मेरा अन्त हुआ.
मैं एक पूर्णता के पथ का कच्चा निशान,
अपनी अपूर्णता में पूर्ण,
मैं एक अधूरी कथा.
कला का मरण-गीत, रोने आया ।
मेरी मजबूरी तो देखो-
काली पीली आँधी चलती है गोल-गोल,
धूसर बादल नीचे उतरे
जिन में मुरझाये पलों की है धूल-भरी,
मिट गये अचानक अनजाने अपने अमोल,-
बुझ गये दीप पड़ कर पीले
जिन की लौ गरम रखी अब तक
है अन्त हुआ जाता मेरा
इन अन्तहीन इतिहासों में :
जाने कैसी दूरी पर से
मुझ पर लम्बी छाया पड़ती,
किस की आधी आवाज़-भरी
मेरे बोझीले गिरते हुए उतारों में ।
मैं अधिकारी ना-होने वाली बातों का
मैं अनजाना, मैं हूँ अपूर्ण.
“Yesterday is history, tomorrow is a mystery, today is a gift of God, which is why we call it the present.”
― Bill Keane.
“Listen to the mustn'ts, child. Listen to the don'ts. Listen to the shouldn'ts, the impossibles, the won'ts. Listen to the never haves, then listen close to me... Anything can happen, child. Anything can be.”
― Shel Silverstein.
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